रांची (नामकुम): नामकुम प्रखंड में अफीम की अवैध खेती के खिलाफ प्रशासन और स्थानीय पुलिस द्वारा विशेष जागरूकता अभियान चलाया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीणों और किसानों को यह समझाना था कि अफीम की खेती न केवल कानूनन अपराध है बल्कि इससे सामाजिक और आर्थिक नुकसान भी होता है।
कार्यक्रम का आयोजन
अभियान के दौरान जिला प्रशासन के अधिकारी, पुलिस विभाग, और कृषि विशेषज्ञों ने ग्रामीणों से बातचीत की। उन्होंने लोगों को बताया कि अफीम की खेती में शामिल होने पर कठोर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। इसके साथ ही किसानों को वैध और लाभकारी फसलों की ओर प्रोत्साहित किया गया।
किसानों को दिए गए सुझाव
विशेषज्ञों ने किसानों को दलहन, तिलहन, मसालेदार फसलें और अन्य व्यावसायिक खेती जैसे विकल्प अपनाने की सलाह दी। प्रशासन का कहना है कि इन फसलों के लिए सरकार से योजनाओं और सहायता का लाभ लिया जा सकता है, जिससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी और वे कानूनी दिक्कतों से भी बचेंगे।
अफीम खेती के दुष्परिणाम
अधिकारीयों ने ग्रामीणों को समझाया कि अफीम की खेती नशे के फैलाव को बढ़ावा देती है, जिससे युवाओं और समाज पर बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा इस खेती से जुड़ने वालों को जेल और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
प्रशासन की अपील
स्थानीय प्रशासन ने अपील की है कि ग्रामीण जागरूक होकर अफीम की खेती को पूरी तरह छोड़ दें और सरकार द्वारा प्रोत्साहित वैध फसलों की ओर बढ़ें। साथ ही, गांव-गांव इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम जारी रखने की योजना है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक संदेश पहुँच सके।
निष्कर्ष
नामकुम में आयोजित यह अभियान अफीम की अवैध खेती रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अगर ग्रामीण प्रशासन के बताए रास्ते पर चलते हैं तो यह क्षेत्र न केवल अपराध और नशे से मुक्त होगा, बल्कि वैध खेती के जरिए आर्थिक रूप से भी मजबूत बन सकेगा।